दिल्ली संस्कृत अकादमी की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य संस्कृत भाषा और साहित्य के विकास से सम्बन्धित कार्यक्रमों को कार्यरूप में लाना है । इसके अन्तर्गत दिल्ली के प्राचीन तथा वर्तमान उत्कृष्ट साहित्य का संकलन, परिरक्षण तथा उसके सृजन के लिये प्रोत्साहन का कार्य सम्मिलित है । अकादमी के उद्देश्य निम्नलिखित है—
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संस्कृत भाषा एवं साहित्य के उत्थान, प्रचार-प्रसार हेतु वर्तमान एवं भविष्य के लिए अकादमी अनुदान प्राप्त करेगी । संस्कृत पुस्तको के प्रकाशन तथा ऐसी मूल कृतियों के प्रकाशन जो अब तक प्रकाशित न हुई हो, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक सन्दर्भ कोष, ज्ञान कोष आदि कोषों की प्रारम्भिक शब्दावली, संस्कृत से संबन्धित विभिन्न प्रकार के ग्रन्थों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद करने के लिए प्रोत्साहन देने हेतु अकादमी अपने स्तर पर उक्त कार्यक्रमों की व्यवस्था करेगी ।
- अकादमी राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर संस्कृत सम्मेलन, संगोष्ठी, परिसंवाद, नृत्य, नाटक, काव्य गोष्ठी, संस्कृत से संबन्धित प्रदर्षनी, प्रतियोगिताए, संस्कृत से संबन्धित समस्याओं के सम्बन्ध में वाद-विवाद, गोष्ठी, विभिन्न भाषाओं के तुलनात्मक अध्ययन एवं संस्कृत से सम्बन्धित ऐतिहासिक, सास्कृतिक एवं शैक्षणिक यात्राओं आदि विभिन्न प्रकार के संस्कृत सम्बन्धी कार्यक्रमों की व्यवस्था करेगी । इस सम्बन्ध मे भारत सरकार के द्वारा समय- समय पर संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु जारी किये गये आदेशों के कार्यान्वयन की व्यवस्था करेगी ।
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साहित्यकारों को उनकी अद्भुत साहित्यिक रचनाओं तथा संस्कृत के क्षेत्र में प्रशंसनीय कार्यों के लिए मान्यता प्रदान करना एवं पुरस्कृत करना आदि अन्य आर्थिक सहयोग प्रदान करने की व्यवस्था करेगी ।
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संस्कृत के विद्वानों को उच्च शिक्षा एवं शोध को प्रोत्साहन देगी ।
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दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में संस्कृत केन्द्रों की स्थापना करेगी तथा उन केन्द्रों के लिए पाठ्य पुस्तकों को तैयार करेगी तथा केन्द्रों में अध्ययनरत छात्रों को प्रोत्साहन देगी ।
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संस्कृत पाठशालाओं के उत्थान के लिए प्रोत्साहन देगी तथा अवश्यकता पड़ने पर उनके लिए पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों, परीक्षाओं इत्यादि की व्यवस्था के लिए प्रोत्साहन देगी ।
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दिल्ली के वयोवृद्ध उच्च कोटि के साहित्यकारों और लब्ध-प्रतिष्ठित विद्वानों का सम्मान करना ।
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संस्कृत की सर्वश्रेष्ठ कृतियों और बाल साहित्य आदि को प्रतिवर्ष सम्मानित करना ।
- संस्कृत के प्रचार-प्रसार में कार्य कर रही ऐसी स्वैच्छिक संस्थाओं को, कार्यक्रमों को, लघु समाचार पत्र पत्रिकाओं को, विज्ञापन के माध्यम से सहायता अनुदान देना जिनका कार्य वास्तव में संस्कृत भाषा के विकास एवं संस्कृत साहित्य की अभिवृद्धि की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हो ।